नमस्कार दोस्तों, आज के चोराबाडी झील केदारनाथ उत्तराखण्ड (Chorabari Lake Kedarnath Uttarakhand) आर्टिकल में आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है। इस आर्टिकल में मैं आपको उत्तराखंड में स्थित सुप्रसिद्ध चोराबाडी झील के बारे में पूरी जानकारी दूंगा। यहां हम झील के इतिहास और विशेषता के बारे में संपूर्ण जानकारी लेंगे। साथ ही साथ मै आपको बताऊंगा कि आप चोराबाडी झील यात्रा का सबसे सही समय? चोराबाडी झील में घूमने के लिए किस प्रकार से जा सकते हैं।
चोराबाडी झील केदारनाथ उत्तराखण्ड – Chorabari Lake Kedarnath Uttarakhand – Chorabari Lake uttarakhand tourist places in hindi
केदारनाथ में समुद्र तल से 3900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चोराबाड़ी झील, चोराबाड़ी नामक ग्लेशियर से निकलती है। इस झील को गांधी सरोवर के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं इसी स्थान पर सप्तऋषियों को भगवान शिव ने योग का ज्ञान प्रदान किया था। यह खूबसूरत झील केदारनाथ मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यह क्रिस्टल क्लियर झील पर्यटकों के बीच मुख्य आकर्षण है। यह झील बेहद ही खूबसूरत और आकर्षक है जिसे देखने के लिएपर्यटक भारी मात्रा में आते हैं। केदारनाथ के 10 खूबसूरत पर्यटन स्थल में चोराबाडी झील सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थल है।
चोराबारी नामक प्रसिद्ध झील को गांधी सरोवर के नाम से भी जाना जाता है, फिलहाल यह झील केवल नाममात्र की ही बची हुई है, क्योंकि 2013 में केदारनाथ में भयंकर बाढ़ के कारण चोराबाडी झील अस्त-व्यस्त हो गई थी, 2013 में आई बाढ़ के कारण आसपास के इलाके में स्थित सभी प्रकार की सुंदर चीजों को भयंकर क्षति पहुंची थी, इस बाढ़ के कारण अत्यधिक जलभराव हो गया और झील की दीवारें टूट गई, लेकिन आज भी इस झील की प्रसिद्धि बरकरार है, सालाना हजारों टूरिस्ट केदारनाथ जाते हैं और इनमें से सैकड़ों इस झील के दर्शन के लिए जाते हैं।
इस झील की मान्यता इसलिए भी बरकरार है, क्योंकि झील में भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अस्थियों का विसर्जन किया गया था, अगर आप केदारनाथ की यात्रा के लिए जा रहे हैं तो आपको चोराबाडी झील में जरूर जाना चाहिए, यह इलाका प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है और ऐतिहासिक महत्व भी रखता है।
चोराबाडी झील का इतिहास – History of Chorabari Lake Kedarnath
भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आखिरी इच्छा थी कि जब उनकी मृत्यु हो जाए तो उनकी अस्थियों का विसर्जन इस झील में होना चाहिए, इसलिए भारत के इतिहास में इस झील की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, यह झील बहुत ही खूबसूरत और सुंदर है, इसके आसपास बर्फ से ढके हुए ग्लेशियर हैं, जिससे आप आनंद ले सकते हैं, और मौज-मस्ती कर सकते हैं।
झील के पास में चोराबारी ग्लेशियर स्थित है, भू- वैज्ञानिकों का मानना है कि लगभग 5000 साल पहले इस झील का निर्माण इस ग्लेशियर के आगे खिसकने के कारण ही हुआ था, हजारों सालों तक इस झील की प्रसिद्धि थी, और सैकड़ों लोग यहां पर घूमने आते थे और कई प्रकार के वाटर एक्टिविटी और धार्मिक क्रियाएं करते थे, लेकिन 2013 की बाढ़ ने इस झील को तहस-नहस कर दिया था, फिलहाल यह केवल एक ऐतिहासिक स्थल मात्र रह गया है।
यहां पर झील केवल नाम मात्र की बची है, इसलिए ज्यादातर लोग इस इलाके को चोराबाड़ी ताल के नाम से जानते हैं, चोराबाडी ताल में चोराबाडी ग्लेशियर भी स्थित है, यह सभी इलाके केदारघाटी के अंदर ही आते हैं, केदारघाटी लगभग 67 वर्ग किलोमीटर में फैला इलाका है, जिसके अंदर यह सभी इलाके हैं।
समुंदर तल से इस इलाके की ऊंचाई लगभग 3900 मीटर है, इस इलाके में छोटी मोटी हरियाली होती है, लेकिन बड़े पेड़ पौधे और घास के मैदान देखने को नहीं मिलेंगे, इलाके में आपको चारों तरफ मिट्टी और बर्फ से ढके हुए पहाड़ ही देखने को मिलेंगे, जब यह बर्फ पिघलती है, तो झील में पानी भर जाता है।
चोराबाडी झील की विशेषता और रोचक तथ्य – Specialties and Interesting Facts of Chorabari Lake
चोराबारी झील की मुख्य विशेषता यही है कि इस झील को गांधी सरोवर के नाम से जाना जाता है, और भारत के राष्ट्रपिता माने जाने वाले महात्मा जी गांधी की अस्थियों का विसर्जन इसी झील में किया गया था, भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि 2013 की त्रासदी इसी झील के कारण हुई थी, यह झील केदार घाटी में केदारनाथ मंदिर से 2 किलोमीटर ऊंचाई पर है, इतनी ऊंचाई पर होने के कारण जब झील के पास बादल फटा तो यह झील पानी से लबालब भर गई और दीवारें टूट गई, जिससे कि भारी मात्रा में पानी स्पीड में नीचे की तरफ आया और अपने रास्ते में आने वाली लगभग हर चीज को तहस-नहस कर दिया।
यहां पर स्थित ग्लेशियर लगभग 6 किलोमीटर चौड़ा है, 2013 की त्रासदी में यहां पर लगभग 72 घंटे तक भारी बारिश से हुई थी, इतनी जोरदार बारिश होने को ही बदल फटना कहा जाता है, बारिश होने के कारण ग्लेशियर में स्थित बर्फ भी पिघल गई, जोकि त्रासदी का बड़ा कारण बनी। त्रासदी और ऐतिहासिक महत्व होने से अलग झील की धार्मिक मान्यता भी है, मान्यता है कि हजारों साल पहले यहां पर साधु संत रहा करते थे, और भगवान शिव की पूजा किया करते थे, आज के समय में यहां पर किसी प्रकार की पूजा पाठ और धार्मिक कार्यक्रम नहीं होते, क्योंकि झील की धार्मिक मान्यता स्पष्ट नहीं है।
चोराबाडी झील के पास अन्य पर्यटन स्थल – Kedarnath Tourist Places Near Chorabari Lake In Hindi
- वासुकी ताल
- केदारनाथ मन्दिर
- सोनप्रयाग
- त्रियुगी नारायण मंदिर
- भैरवनाथ मंदिर
- आदिगुरु शंकराचार्य समाधि
- चोराबाडी झील
- चंद्रशिला
- गौरीकुंड
- रूद्र गुफा
चोराबाडी झील कैसे जाएं? – How To Reach Chorabari Lake Kedarnath In Hindi
अगर आप चोराबाडी झील में आना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको सबसे पहले केदारनाथ आना होगा, केदारनाथ से 2 किलोमीटर उपर चढ़ाई चढ़ने पर आप झील पर पहुंच सकते हैं, अगर इस यात्रा के बारे में संपूर्ण जानकारी दूँ तो आप दिल्ली से हरिद्वार तक का सफर कीजिए और हरिद्वार से आगे आपको रुद्रप्रयाग आ जाना है, रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड का रास्ता है, गौरीकुंड से आगे आप केवल पैदल या टट्टू की सहायता लेकर जा सकते हैं।
ध्यान रखिए कि रुकने के लिए केवल केदारनाथ मंदिर ही है, केदारनाथ मंदिर के आसपास आपको कई जगह मिल जाएँगी, जहां पर आप रुक सकते हैं, आपको अगर झील पर घूमने के लिए जाना है तो आप सुबह निकल जाइए, ताकि आप शाम तक वापस आ सके, यहां पर आपको किसी प्रकार की सुविधा नहीं मिलेगी, इसलिए आपको पूरी तैयारी करके जाना चाहिए। आप Amazon से किफायती कीमत पर फ्लाइट और ट्रेन की टिकट बुक कर सकते है।
चोराबाडी झील में रुकने की जगह – Where to stay in Chorabari Lake Kedarnath In Hindi
चोराबाडी झील के पास स्थित केदारनाथ के आसपास किफायती होटल और गेस्ट हाउस मौजूद है। चोराबाडी झील में को किसी भी प्रकार की कोई रुकने की व्यवस्था नहीं मिलेगी आप रोकने के लिए केदारनाथ में होटल ले सकते हैं। यहां पर आपको होटल और कई लोकल रेजिडेंशियल प्लेस मिल जाएंगे। जहां पर आप आसानी से रुक सकते हैं इसके अलावा भी आपको आसपास है कई गांव में लेंगे जहां पर आप आसानी से होटल ले सकते हैं।
चोराबाडी झील यात्रा का सबसे सही समय? – Best time to visit Chorabari Lake Kedarnath In Hindi
अगर आप पर चोराबारी झील पर यात्रा के लिए जा रहे हैं तो आपको बता दूं कि यहां पर घूमने के लिए मई से जून महीने सबसे सही रहते हैं, मई में केदारनाथ मंदिर के कपाट खुल जाते हैं, जिससे कि आप केदारनाथ मंदिर पर दर्शन के लिए जा रहे हैं, इस झील पर वही लोग जाते हैं जो केदारनाथ मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं, यहां पर स्पेशल रिसर्च वाले और वैज्ञानिक लोग आते हैं।
चोराबाड़ी ग्लेशियर कहाँ स्थित है?
चोराबाड़ी ग्लेशियर उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यही ग्लेशियर मंदाकिनि का उद्गम स्थल भी है जो मंदाकिनी नदी की सहायक नदी है। चोराबाड़ी ग्लेशियर केदारनाथ से मात्र 3 किमी दूर स्थित है।
चोराबाड़ी ग्लेशियर की लम्बाई कितनी है?
चोराबाड़ी ग्लेशियर की लम्बाई 14 किमी है जिसके मध्य में चोराबाड़ी झील स्थित है।
भारत का सबसे लंबा ग्लेशियर कौन सा है?
78 किमी लम्बा सियाचिन ग्लेशियर भारत का सबसे लंबा ग्लेशियर है इसके साथ साथ यह ग्लेशियर दुनिया का दूसरा सबसे लम्बा ग्लेशियर भी है।
आखरी शब्द:-
तो दोस्तों कैसा लगा आपको आज का चोराबाडी झील केदारनाथ उत्तराखण्ड – Chorabari Lake Kedarnath Uttarakhand यह आर्टिकल? इस आर्टिकल में हमने चोराबाडी नामक प्रसिद्ध झील के बारे में पूरी जानकारी ली है। चोराबाडी झील या चोराबाडी ताल सुप्रसिद्ध है और ऐतिहासिक मान्यता वाली झील है। यहां के ग्लेशियर बहुत ही खूबसूरत है, जिनके बारे में मैंने आपको पूरी जानकारी दी है। आशा करूंगा कि आपको आर्टिकल जरूर पसंद आया होगा। मिलते हैं आप से किसी नए आर्टिकल में नई जानकारी के साथ।
इसे भी देखे –
- उत्तराखण्ड के 10 खूबसूरत पर्यटन स्थल – Uttarakhand Tourism In Hindi
- देवभूमि ऋषिकेश के 10 प्रसिद्ध पर्यटन स्थल – Rishikesh Tourism In Hindi
- देहरादून के 10 प्रसिद्ध पर्यटन स्थल – Dehradun Tourism In Hindi
- हिल स्टेशन रानीखेत के मनमोहक 16 पर्यटन स्थल – Ranikhet Tourism In Hindi
- नैनीताल के 10 प्रसिद्ध पर्यटन स्थल – Nainital In Hindi