आइये जानते हैं उत्तराखण्ड के सोनप्रयाग केदारनाथ उत्तराखण्ड (Sonprayag Kedarnath Uttarakhand) के बारे में जहाँ पर आप हरी भरी पहाड़ी, नदियाँ और हिमालय की अद्भुत सुंदरता का आनंद उठा सकते है। सोनप्रयाग एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल होने के साथ साथ एक खुबसूरत प्रकिर्तिक दृश्यों से भरपूर पर्यटन स्थल भी है। शांत वातावरण के साथ सोनप्रयाग में धार्मिक और प्रकिर्तिक सुंदरता का अनोखा मिश्रण आपके इस यात्रा को ज़िन्दगी का खूबसूरत यादगार पल बना सकते है।
यदि आप सोनप्रयाग घूमने का प्लान बना रहे है तो आपके मन में सोनप्रयाग कहां स्थित है?, सोनप्रयाग का इतिहास, सोनप्रयाग घूमने कब जाना चाहिए? सोनप्रयाग कैसे पहुंचे? सोनप्रयाग की वास्तुकला और विशेषता क्या है? आदि जैसे कुछ सवाल जरूर होंगे। तो इस पोस्ट को अन्त तक पढ़िएगा जो आपकी यात्रा को आसान बना देंगे। तो चलिए इस आर्टिकल में हम सोनप्रयाग के बारे में काफी रोचक तथ्यों पर बात करेंगे और सोनप्रयाग के बारे में काफी कुछ जानकारियां पर आर्टिकल में हम आगे चर्चा करेंगे।
सोनप्रयाग केदारनाथ उत्तराखण्ड – Sonprayag Kedarnath Uttarakhand – Uttarakhand Tourist Places in hindi
केदारनाथ से लगभग 18 किलोमीटर दूर सोनप्रयाग जो समुन्द्र तल से लगभग 1829 मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ छोटा सा गांव है। सोनप्रयाग 2 पवित्र नदी वासुकी और मंदाकिनी के संगम पर स्थित है। यही वह स्थल है जहां पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। यहां की प्राकृतिक सुंदरता बहुत ही अद्भुत और मनोरम है। मान्यतानुसार यहां के जल को स्पर्श मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति कर सकते है। चोटियों पर रुई की चादर सी बिछी बर्फ और नदी का बहता जल इस स्थान को बेहद रमणीय रूप प्रदान करता है। यहीं से केदारनाथ की ट्रैकिंग यात्रा की शुरुआत होती है।
जब हम सोनप्रयाग का नाम लेते हैं तो हमें इसके नाम में ही सुंदरता का आभास हो होता है। इसी तरह जब आप सोनप्रयाग में जांयगे तो आपको वहां पर भी इतनी सुन्दरता देखने को मिलेगी। सोनप्रयाग नाम 2 हिंदी शब्दों से जुड़कर बना है जिसमें से सोन का अर्थ होता है सवर्ण और प्रयाग का अर्थ होता है संगम। जब आप इस गांव में प्रवेश करेंगे तो आपको एक अद्भुत शांति का आभास होगा। चारों तरफ हरियाली से भरा यह गांव इतना सुंदर है कि एक बार जब कोई इन्सान इस गांव के अंदर प्रवेश करता है तो उसे ऐसा महसूस होता है कि मानो वह अलग ही दुनिया में आ गया हो।
सोनप्रयाग से एक राष्ट्रीय राजमार्ग भी गुजरता है। जब आप केदारनाथ की यात्रा के लिए जाते हैं तो सोनप्रयाग इसके मध्य में पड़ता है। सोनप्रयाग नगर अपनी सुंदरता के लिए काफी चर्चित है। यंहा पर आप को काफी सुन्दर व शुध नदियां देखने को मिलेंगी। सोनप्रयाग चार धार्मिक तीर्थ स्थलों में से एक है। सोनप्रयाग के अंदर आपको धार्मिकता और प्राकृतिक सुंदरता अच्छी तरह देखने को मिल जाएंगे। सोनप्रयाग के चारों तरफ हमें प्रवृत्ति श्रंखला मिलेगी। यहां पर आए हुए श्रद्धालु शिवलिंग की पूजा और यहां की अद्भुत नदियों में स्नान जरूर करते हैं।
सोनप्रयाग का इतिहास – History of Sonprayag Uttarakhand In Hindi
सोनप्रयाग के इतिहास को काफी पुराना इस लिए माना गया क्योंकि सोनप्रयाग का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। सोनप्रयाग गांव को महाभारत काल में ‘ब्रह्मवर्त’ नाम से जाना गया। इस जगह पर बहुत से संतो और ऋषियों ने आपसी मिलन किया था। सोनप्रयाग गांव के इतिहास को सम्राट अशोक के समय से भी जोड़ा गया है। उस समय पर सोनप्रयाग गांव को प्रयाग के नाम से जाना गया और इसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित किया गया।
सोनप्रयाग को सातवीं सदी में सम्राट हर्षवर्धन ने अपनी राजधानी बनाया इसलिए सोनप्रयाग के इतिहास को सम्राट हर्षवर्धन के समय से भी जोड़ा गया। राजधानी बनाने के बाद सोनप्रयाग के अंदर धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियां होती रही और यहां पर महाकुंभ का मेला आदि, जैसी महत्वपूर्ण चीजों का आयोजन होता रहा।
सोनप्रयाग का इतिहास ब्रिटिश साम्राज्य काल से भी जुड़ा हुआ है। ब्रिटिश साम्राज्य काल में सोनप्रयाग का महत्वपूर्ण स्थान माना गया क्योंकि यहां पर ब्रिटिश सरकार ने काफी विकास कार्य किए थे और इसे ग्रीष्मकालीन रिजॉर्ट के रूप में जाना जाता था।
सोनप्रयाग की विशेषता – Features of Sonprayag In Hindi
सोनप्रयाग शहर पहाड़ी क्षेत्र में बसा हुआ एक सुन्दर शहर है। पहाड़ी क्षेत्र में होने के कारण यहां पर मौसम काफी सुहावना व पेड़ पौधे पर हरियाली हर समय रहती है। सोनप्रयाग शहर भारत के उत्तराखंड राज्य का एक विशेष पर्यटक स्थल बन चुका है। सोनप्रयाग शहर के अंदर काफी सारे मंदिर स्थित हैं जहां पर हर समय श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।
सोनप्रयाग शहर की मुख्य विशेषता वहां की गंगा और यमुना नदी है क्योंकि गंगा और यमुना नदी सोनप्रयाग शहर में एक साथ मिल कर साथ में बहती है। सोनप्रयाग के अंदर विशेष शास्त्री जी का मंदिर काफी प्रमुख मंदिर है जहां पर महादेव की पूजा की जाती है। जिस स्थान पर गंगा और यमुना नदी एक साथ मिलती है उसे त्रिसंधी के नाम से भी जाना जाता है। सोनप्रयाग को धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह चार धामों का मिलन स्थल है।
सोनप्रयाग के पास अन्य पर्यटन स्थल – Best Tourist Places In Kedarnath Near Sonprayag In Hindi
- वासुकी ताल
- केदारनाथ मंदिर
- त्रियुगी नारायण मंदिर
- भैरवनाथ मंदिर
- आदिगुरु शंकराचार्य समाधि
- चोराबाडी झील
- चंद्रशिला
- गौरीकुंड
- रूद्र गुफा
सोनप्रयाग केदारनाथ कैसे जाएं? – How To Reach Sonprayag Kedarnath In Hindi
सोनप्रयाग जाने के लिए आपके पास तीन बेहतरीन विकल्प हैं उनमें से आप किसी भी विकल्प से सोनप्रयाग पहुंच सकते हैं। तो चलिए इन तीनों विकल्पों को हम विस्तार से समझे।
अगर आप सोनप्रयाग से दूरदराज क्षेत्र में रहते हैं तो आप हवाई सफर को चुन सकते हैं। जब आप हवाई सफर करेंगे तो आप को उत्तराखंड के कई शहरों में हवाई अड्डे मिलेंगे जहां पर पहुंचकर आप सोनप्रयाग के लिए बस या टैक्सी के द्वारा सोनप्रयाग तक पहुंच सकते हैं।
सोनप्रयाग पहुंचने के लिए आप ट्रेन का सफर भी चुन सकते हैं। अगर आप ट्रेन का सफर चुनते हैं तो सोनप्रयाग पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले ट्रेन के माध्यम से हरिद्वार पहुंचना होगा। हरिद्वार पहुंचने के बाद आपको रेलवे स्टेशन से ही टैक्सी मिल जाएगी जो कि आपको सोनप्रयाग तक पहुंचा देगी। अगर आप बस के द्वारा आना चाहते हैं तो हरिद्वार रेलवे स्टेशन से आपको बस स्टैंड तक जाना होगा। फिर आपको वहां से सोनप्रयाग की बस मिल जाएगी उसके माध्यम से भी आप सोनप्रयाग तक पहुंच सकते हैं।
तीसरा विकल्प बस का है यानी कि अगर आप सोनप्रयाग क्षेत्र के नजदीकी एरिया में रहते हैं तो आप बस का विकल्प चुन सकते हैं। उत्तराखंड के काफी ऐसे शहर है जहां से आपको सोनप्रयाग के लिए बस मिल जाएगी। इस प्रकार बस के माध्यम से आप सोनप्रयाग तक पहुंच सकते हैं। आप Amazon से किफायती कीमत पर फ्लाइट और ट्रेन की टिकट बुक कर सकते है।
सोनप्रयाग यात्रा का सबसे सही समय? – Best time to visit Sonprayag Kedarnath
सोनप्रयाग में घूमने के लिए आप अप्रैल से जून महीने को चुन सकते हैं। इस महीने में आपको पहाड़ी क्षेत्र में काफी हरयाली देखने को मिलेगा। इस समय पर वहां का मौसम काफी सुहावना होता है और पहाड़ों पर हरियाली आपकी यात्रा को बेहद सुखद बना देगी।
और अगर आप सितंबर से नवंबर महीने को चुनते हैं तो यह महीना मानसून का महीना होता है। इस समय पहाड़ी क्षेत्र में ठंडी हवाएं चलती हैं और मौसम काफी सुखद होता है। इस समय आपका सफर काफी आनंददायक रहेगा और आप इस मौसम में भी सोनप्रयाग यात्रा का आनंद ले सकते हैं।
सोनप्रयाग से केदारनाथ की दूरी कितनी है?
सोनप्रयाग से केदारनाथ की दूरी लगभग 13 किलोमीटर है। आप सोनप्रयाग पहुंचकर 6 किलोमीटर गौरीकुण्ड तक टैक्सी की सहायता से पहुंच सकते है। उसके बाद आपको गौरीकुंड से केदारनाथ तक ट्रैकिंग करके ही जाना होगा।
सोनप्रयाग से बद्रीनाथ की दूरी कितनी है?
सोनप्रयाग से बद्रीनाथ की दूरी लगभग 220 किलोमीटर है। सोनप्रयाग से बद्रीनाथ के लिए सुबह 5 बजे पहली बस चलती है। ये दुरी तय करने में आपको लगभग 8 घंटे लगेंगे इसलिए सुबह निकलना अच्छा रहेगा।
सोनप्रयाग में कौन सी नदी मिलती है?
सोनप्रयाग 2 पवित्र नदी वासुकी और मंदाकिनी का संगम स्थल है ये दोनों नदियाँ मिलती है।
सोनप्रयाग की ऊंचाई कितनी है?
केदारनाथ से लगभग 18 किलोमीटर दूर सोनप्रयाग समुन्द्र तल से लगभग 1829 मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ है।
आखरी शब्द:
दोस्तों आज के सोनप्रयाग केदारनाथ उत्तराखण्ड (Sonprayag Kedarnath Uttarakhand) आर्टिकल में हमने सोनप्रयाग गांव के बारे में चर्चा की, इस आर्टिकल में हमने आपको सोनप्रयाग की वास्तुकला और विशेषता के बारे में संपूर्ण जानकारी आपको दी है, अगर आप आने वाले समय में सोनप्रयाग आना चाहते हैं तो आपके लिए यह आर्टिकल काफी फायदेमंद रहेगा अगर आपको आर्टिकल में दी हुई जानकारी अच्छी लगी तो आप इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें, तो दोस्तों मिलते हैं आपसे अगले आर्टिकल में एक नए इंटरेस्टिंग टॉपिक के साथ।
इसे भी देखे –
- उत्तराखण्ड के 10 खूबसूरत पर्यटन स्थल – Uttarakhand Tourism In Hindi
- देवभूमि ऋषिकेश के 10 प्रसिद्ध पर्यटन स्थल – Rishikesh Tourism In Hindi
- देहरादून के 10 प्रसिद्ध पर्यटन स्थल – Dehradun Tourism In Hindi
- हिल स्टेशन रानीखेत के मनमोहक 16 पर्यटन स्थल – Ranikhet Tourism In Hindi
- नैनीताल के 10 प्रसिद्ध पर्यटन स्थल – Nainital In Hindi